राजस्थान में स्थित माउंट अबु जर्रे जर्रे से अपनी आध्यात्मिकता का एहसास कराता है। यह एक हिल स्टेशन होने के साथ साथ कई प्राचीन मंदिरों का संग्रह भी है | यहां के लोगो का मानना है कि बजरंगबली यहां के सभी नागरिकों की रक्षा करते हैं |
हिंदू धर्म में हनुमान जी की महिमा अपरंपार है। हनुमान जी को कलियुग के देवता के रुप में जाना जाता है जिनकी अराधना का विशेष फल माना जाता है। माउंटआबू के बारे में चंद पुराणों में ऐसा वर्णन है कि उसकी रक्षा हनुमान जी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान माउंटआबू की चारों दिशाओं में स्थित है और उसकी रक्षा करते है। माउंटआबू में कई सड़क हादसे होते है। भीषण सड़क हादसों में भी लोग बाल-बाल बच निकलते है और इसके पीछे लोग यही तर्क देते कि ऐसा हनुमान जी की वजह से होता है क्योंकि वो सदियों से माउंटआबू की पहरेदारी कर रहे है। सदियों से यहां के लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि हनुमान यहां के कण-कण में विराजमान हैं। उनकी पूजा माउंटआबू के रक्षक देव के रुप में सदियों से की जाती है।
यहां दक्षिणमुख हनुमान मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है। हनुमान जी का मुख यहां दक्षिण की ओर इसलिए इसे दक्षिणमुख हनुमान मंदिर कहा जाता है। हनुमान जी के दक्षिणमुख मंदिर को काफी शुभ और प्रभावकारी माना जाता है। पुराणों में ये कहा गया है कि ऐसे मंदिरों में हनुमान जी का अराधना सर्वविघ्नहर्ता और सर्वफलदायक होती है। इस मंदिर के पास ही गणेश मंदिर भी है गायत्री मंदिर भी है। रघुनाथ मंदिर के ठीक नीचे भगवान हनुमान जी की पूजा होती है और वही उनकी मूर्ति भी है। रघुनाथ मंदिर में तो भगवान राम अकेले रहे थे और यही भगवान राम ने हनुमान जी को शक्ति देकर माउंटआबू की पहरेदारी करने को कहा था।
माउंटआबू में ज्ञानगुफा हनुमान मंदिर में सदियों से हनुमान जी की पूजा होती है और इस जगह के बारे में ये मान्यता है कि भगवान अपने श्रद्धालुओं को यहां दर्शन भी देते है। मंदिर को यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बनवाया गया था। मंदिर में हनुमान जी की भव्य मूर्ति है और ऐसा माना जाता है कि ज्ञानगुफा में भगवान भक्तों के हर दुख को हर लेते है और यहां से रहकर वो चारों दिशाओं की पहरेदारी करते है। भगवान अपने भक्तों को यहां ज्ञान के साथ उसकी मांगी हुई हर मुराद पूरी कर देते है।
शहर में ही आर्ना हनुमान मंदिर भगवान के भक्तों के बीच श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र है। आर्ना मंदिर त्रेतायुग से ही माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की आधारशिला भगवान राम ने रखी थी। हनुमान यहां भी माउंटआबू के रक्षक के रुप में यानि पहरेदार के रुप मे जाने जाते है।
गोमुख हनुमान मंदिर से सटा भगवान राम की पाठशाला भी है। भगवान राम ने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में ही अपने भाई लक्ष्मण के साथ रहकर शिक्षा प्राप्त की थी। यहां भगवान राम और लक्ष्मण की मूर्ति हनुमान जी अपने कंधे पर लिया हुआ है। भगवान राम की इस पाठशाला के बारे में भी ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का यहां चौबीसों घंटे पहरा रहता है और ऐसी कोई भी चीज़ नहीं हो सकती जो हनुमान जी नहीं चाहते हो। यहां स्थापित भगवान राम के साथ हनुमान जी की मूर्ति बड़ी मनोहारी है जिसे देखने पर भक्ति भाव उमड़ते है।
हैरानी तब होती है जब मंदिर की मूर्तियों से निकलती हुई यह श्रद्धा और आस्था लोगों के हृदय तक पहुंचती है। लोगों में अपने उपासक के प्रति आस्था पल-पल तब दृढ होती चली जाती है जब वो देखते है कि उत्तर-पूर्व हो या फिर पश्चिम और दक्षिण हर दिशा में वो अपने उपासक को देखते हैं। ये आस्था तब और प्रगाढ़ होती है जब एक साधक को इन बातों का वर्णन हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
हम सब ये जानते हैं की बजरंगबली कभी अपने भक्तों का साथ नहीं छोड़ते हैं और इसी कारण लोगो के मन में उनकी आस्था अत्यधिक है अतः उनका अस्तित्व अनंतकाल तक रहेगा |
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