Tuesday, 29 March 2016

भारत के सबसे बड़े गुनहगार ISI की काली करतूतों की काली कहानी!



भारत के लिए विलेन है पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई. हिंदुस्तान को बारूद के ढेर पर बिठाने के लिए आईएसआई पिछले 68 सालों से साजिश बुन रहा है और यही वजह है कि आईएसआई के अधिकारी के हिंदुस्तान की सरजमी पर उसके नापाक कदम पड़ने से विरोध शुरू हो गया है.

1993 में मुंबई में बम धमाका, 2006 में मुंबई में ट्रेन में ब्लास्ट, 2008 में मुंबई में 26/11 ये वो धमाके हैं जिसने हिंदुस्तान को लहूलुहान किया है. ना जाने ऐसे और कितने गुनाह हैं पाकिस्तानी खुफिया एंजेसी आईएसआई के जो हर हिंदुस्तानी के दिल में उसके लिए नफरत पैदा करता है. इन धमाकों और आंतकी गंतिविधियों के जरिए सैकड़ों हिंदुस्तानियों को मौत की नींद सुलाने के पीछे ISI का ही हाथ रहा है.

ये न केवल यहां की हुकुमत को पता है बल्कि दुनिया भी कई बार इसकी करतूतों को देख चुकी है और सबसे ताजा उदहारण है इसी साल जनवरी में पठानकोट के एयरबेस पर आंतकी हमला, ये बात सामने आ चुकी है कि जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने ही हमले को अंजाम दिया था. जैश-ए-मोहम्मद और लशकर-ए-तैयबा जैसे ढेरों आतंकी संगठन पाकिस्तान से भारत में आंतंकवाद की फैक्ट्री चला रहे हैं.

भारत की खुफियां एजेंसियों के मुताबिक इन आंतकी संगठनों को आईएसआई ही पनाह देती है. इनके आकाओं को हथियार, ट्रेनिेंग से लेकर रुपयों तक मदद आईएसआई कराती है और इसीलिए हम आईएसआई को भारत के लिए विलेन कह रहे हैं

साल 1948 में अपनी पैदाइश के समय से ही आईएसआई ने भारत में आतंक के बीज बोने शुरू कर दिए थे. 1965 और 1971 के युद्ध में आईएसआई ने भारत को कमजोर करने की काफी कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं रहा.

आईएसआई जब सामने से कामयाब नहीं हुआ तो इसने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पीठ पीछे भारत को तोड़ने में जुट गया—1980 के दशक में इसने कश्मीर में अलगाववादियों को भड़काने और उन्हें समर्थन का जो खौफनाक सिलसिला शुरू किया वो अब तक चला आ रहा है—कश्मीर में अलगाववाद और आतंकी घटनाओं के लिए ISI को ही जिम्मेदार माना जाता है.

1993 में मुंबई में बम धमाका
आईएसआई का सबसे खौफनाक और घिनौना चेहरा 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाके में सामने आया. आईएसआई की मदद से दाऊद इब्राहिम और उसकी टीम ने मुंबई में खून की होली खेली थी जिसमें करीब साढ़े तीन सौ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे.

2006 में मुंबई में ट्रेन में ब्लास्ट
इसके बाद 2006 में एक फिर आईएसआई की मदद से ट्रेनों में सिलसिलेवार धमाके करवाए गए जिसमें 189 लोगों को मौत की नींद सुला दिया गया और 800 सौ से ज्यादा लोग घायल हुए—

2008 में मुंबई में 26/11
हद तो तब हो गई जब लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी समंदर के रास्ते साल 2008 में मुंबई में दाखिल हुए और ताज होटल समेत कई महत्वपूर्ण ठिकाने पर हमला बोल दिया—आईएसआई के इस खौफनाक साजिश में 164 लोगों को मार दिया गया.

आईएसआई केवल धमाके और आतंकी घटनाओं के जरिए ही भारत को दहला नहीं रहा है बल्कि आतंकियों को फंडिंग भी करता है और ट्रैनिंग कैंप चलाता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई भारत में आतंकी हमलों पर हर साल 1200 करोड़ रूपये खर्च करता है जिसकी शुरुआत 1988 से हुई है. इसी दौरान इसने खालिस्तानी उग्रवाद को भी बढ़ावा देना शुरू कर दिया था.

1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान IC 814 के अपहरण की भी साजिश आईएसआई ने ही रची थी और मौलाना मसूद अज़हर समेत जैश के आतंकियों के छुड़ाने के लिए अपहरण को अंजाम दिया.

आईएसआई भारत में आर्थिक आतंकवाद फैलाने के लिए जाली नोटों के कारोबार का जाल फैला रखा है और नेपाल, बंग्लादेश, श्रीलंका और खाड़ी के देशों से भारत में जाली नोट भेजकर भारत के अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में जुटा है—देश में आईएसआई के सैकड़ों एजेंट भी सक्रिय हैं.
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